कम्प्यूटर की विशेषता
कंप्यूटर हमारे जीवन में हर क्षेत्र में फैलता जा रहा है क्योंकि इसकी विशेषताओं के कारण सभी क्षेत्रों में इसका अधिकाधिक उपयोग होने लगा है।
कंप्यूटर की विशेषताएँ निम्न हैं-
- उच्च गति (High Speed)
- संचय क्षमता (Storage capacity)
- विश्वसनीयता (Reliability)
- स्वचालन (Automation)
- त्रुटिहीनता (Accuracy)
- गोपनीयता (Secrecy)
- निर्णय लेने की क्षमता (Decision Power)
- जानकारी की शीघ्र पुनः प्राप्ति।
- कागज के प्रयोग में कमी (Paperless Work)
- बहुउद्देशीय (Versatile)
- सक्षमता (Diligence)
- स्वचालित (Automatic)
- भण्डारण (Storage)
उच्च गति (High Speed)
कंप्यूटर बहुत तेजी से गणनाएँ करता है । कंप्यूटर की अपेक्षा मानव की सीमित गति की तुलना एक उदाहरण से स्पष्ट कर सकते हैं। मान लीजिए कि 3 अंकों की दो संख्याओं को आपस में गुणा करना है । इस काम में किसी अभ्यस्त व्यक्ति को भी 50 से 60 सेकंड तक का समय लग जाता है । 1 लाख तक की गिनती गिनने में पूरा एक दिन लग सकता है । किंतु माइक्रो-कंप्यूटर, जो एक सेकंड में एक लाख अनुदेशों का पालन कर सकता है, इन कामों को पलक झपकते ही कर लेता है और यदि 630 मेगाफ्लाप की क्षमता वाले सुपर कंप्यूटर की बात करें तो इस काम में लगने वाले अल्प समय की कल्पना भी कठिन होगी क्योंकि वह 1 सेकंड में एक खरब गणनाएं कर लेने में सक्षम है ।
संचय क्षमता (Storage Capacity)
कंप्यूटर की सहायता से बहुत अधिक जानकारी को बहुत कम जगह में रखा जा सकता है। उदाहरण के लिए छोटे ग्रामोफोन रिकार्ड से भी छोटे आकार की काम्पेक्ट डिस्क या लेजर डिस्क में टाइप किये हुए कई हजार पेजों के बराबर जानकारी स्टोर की जा सकती है । पूरा का पूरा एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका एक 45 आर. पी. एम. रिकॉर्ड के बराबर लेजर डिस्क में दो बार रिकॉर्ड किया जा सकता है । एक लेजर डिस्क में 4 करोड़ शब्दों का संचय हो सकता है । हाल ही में विकसित हुई बबल मेमोरी में 50 लाख बिट्स प्रति वर्ग सेमी. क्षेत्रफल की दर से जानकारी स्टोर की जा सकती है । यही नहीं एक 45000 ग्रंथों वाली पूरी लाइब्रेरी एक कंप्यूटर से जुड़ी हुई लेजर डिस्क में आ सकती है ।
विश्वसनीयता (Reliability)
कंप्यूटर में लगे हुए सभी उपकरण ठोस अवस्था (Solid State) वाले होते हैं और उनकी क्षमता (quality) इतने ऊँचे स्तर की होती है कि उन पर पूरी तरह निर्भर किया जा सकता है । इलेक्ट्रॉनिक होने के कारण इनकी गणना में अशुद्धि रहने की संभावना भी नगण्य ही होती है । डिजिटल (Digital) कंप्यूटर के परिणाम शत-प्रतिशत सही (accurate) होते हैं यद्यपि एनालॉग (Analog) में शुद्धता 0.1 प्रतिशत कम हो सकती है। कंप्यूटर एक दिये हुए प्रोग्राम को एक ही तरीके से बिना किसी गलती के बार-बार प्रयोग कर सकता है और हजारों बार प्रयोग होने पर भी वही परिणाम देता है। कम्प्यूटर प्रोसेस के पश्चात् सही व भरोसेमंद परिणाम देता है तथा गलती की संभावना नगण्य होती है।
स्वचालन (Automation)
कंप्यूटर हमारे द्वारा दिये गये प्रोग्रामों के अनुसार कई चरणों की गणनाएँ स्वयं स्वचालित रूप से कर लेता है । कई आधुनिक यंत्रों में रोबोट यानि यंत्रचालित मानव की सहायता ली जाती है । रोबोट के संचालन में डिजिटल और एनालॉग दोनों ही कंप्यूटरों का मिला-जुला उपयोग किया जाता है । कंप्यूटर चालित इस तरह के यंत्रों का उपयोग कर मानव अपना समय बचा लेता है ।
त्रुटिहीनता (Accuracy)
कम्प्यूटर द्वारा किए गए कार्यों की त्रुटिहीनता की दर बहुत ऊँची होती है। यह कठिन-से-कठिन प्रश्न का बिना किसी त्रुटि (error) के बिल्कुल सही परिणाम निकाल देता है। गणना के दौरान यदि कोई त्रुटि पाई भी जाती है, तो वह प्रोग्राम या डेटा में मानवीय त्रुटियों के कारण होती है। यह त्रुटियाँ गलत सूचनाओं (Information or data) के कारण होती हैं।
गोपनीयता (Secrecy)
पासवर्ड (Password) के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य को गोपनीय बनाया जा सकता है।
निर्णय लेने की क्षमता (Decision Power)
कंप्यूटर में उनकी हाई लेवेल भाषाओं की मदद से कोई प्रोग्राम डालकर कोई भी गणना कार्य स्वचालित रूप से कराया जा सकता है । डाले गये प्रोग्राम द्वारा कंप्यूटर के अंदर, निर्णय ले कर किये जाने वाले कार्य भी संपन्न हो जाते हैं । इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि कंप्यूटर में कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence) पैदा हो जाती है और वह बिना किसी थकावट या दबाव के तर्कों का प्रयोग कर सकता है।
जानकारी की शीघ्र पुनः प्राप्ति (Quick Retrieval of Information)
जानकारी का संचय करना आसान काम है जबकि किसी विशेष कार्य के लिए उसमें से संबंधित जानकारी को पुनः निकालना बहुत कठिन व समय खपाने वाला काम होता है लेकिन कंप्यूटर में यह काम बहुत तेजी से होता है । कंप्यूटर में सुरक्षित किसी भी जानकारी तक उसके इन्डेक्स नंबर की सहायता से एक पल में पहुँचा जा सकता है । इसकी मेमोरी से कोई डाटा या जानकारी निकालने में केवल कुछ नैनो सेकंड का समय ही लगता है ।
1 नैनो सेकंड' सेकंड का 1 अरबवां हिस्सा होता है।
कागज के प्रयोग में कमी (Paperless Work)
कम्प्यूटर के सही प्रयोग से कागज की खपत में कमी की जा सकती है जिससे पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है।
बहुउद्देशीय (Versatile)
कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य संपन्न किए जा सकते हैं। आधुनिक कम्प्यूटरों में, अलग-अलग प्रकार के कार्य एक साथ करने की क्षमता है।
सक्षमता (Diligence)
एक मशीन होने के कारण कम्प्यूटर पर बाहरी वातावरण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह किसी भी कार्य को बिना रुके लाखों-करोड़ो बार कर सकता है।
स्वचालित (Automatic)
कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन है जिसमें गणना के दौरान मानवीय हस्तक्षेप की संभावना नगण्य रहती है। हालाँकि कम्प्यूटर को कार्य करने के लिए निर्देश मनुष्य द्वारा ही दिए जाते हैं।
भण्डारण (Storage)
कम्प्यूटर अपनी मेमोरी में सूचनाओं का विशाल भण्डार संचित कर सकता है। इसमें आँकड़ों एवं प्रोग्रामों के भण्डारण की क्षमता होती है। कम्प्यूटर के बाह्य (External) तथा आंतरिक (Internal) संग्रहण माध्यमों (हार्ड डिस्क, सीडी रोम आदि) में डेटा और सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है। जिसको हम प्रायः इस्तेमाल कर सकते हैं।
क्या आप जानते हैं ? भारत में कम्प्यूटर का प्रथम प्रयोग 16 अगस्त, 1986 को बंग्लुरू के प्रधान डाकघर में किया गया। जबकि भारत का प्रथम पूर्ण कम्प्यूटरीकृत डाकघर नई दिल्ली है।
कंप्यूटर एक मानव निर्मित मशीन है, जो अपने आप काम नहीं करता है। इससे काम लिया जाता है। यह हमारे आदेश का अक्षरशः पालन करता है। आदेश का जरिया ‘की-बोर्ड' होता है । वैसे आजकल आवाज सुनकर अथवा स्क्रीन पर हाथ/ऊँगलियों को फेर कर भी इससे काम कराया जा सकता है । परन्तु प्रचलन में की-बोर्ड ही है। यह एक टाइपराइटर की तरह होता है। आप किसी भी प्रकार के आदेश को इसके माध्यम से कंप्यूटर को देते हैं । इसके बाद कंप्यूटर में एक हलचल होती है । आप क्या चाहते हैं इसकी जानकारी स्क्रीन पर उभर आती है। किसी भी प्रकार की कमी होने पर मॉनीटर में एरर मैसेज अंकित हो जाता है । मॉनीटर (टीवी स्क्रीन की तरह), सीपीयू (टावर अथवा फ्लैट आकार में) और की-बोर्ड मिलकर एक टर्मिनल बनता है। हालांकि साथ में एक माउस भी होता है और वह भी आपके आदेश को कंप्यूटर तक पहुँचाने का ही काम करता है । लेकिन उसकी क्षमता की-बोर्ड से कम होती है।
एक कंप्यूटर को कार्य करने के लिये दो चीजों की आवश्यकता होती है : एक तो वह सूचना, अर्थात् डेटा जिस पर संगणना करनी है, और दूसरी वस्तु वे सूचीबद्ध आदेश हैं जिनके अनुरूप संगणना की जानी होती है। प्रोग्राम की आवश्यकता इसलिये पड़ती है क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेसर तो एक निर्जीव वस्तु है जिसकी अपनी कोई बुद्धि नहीं होती।
प्रोग्राम व डेटा, दोनों को ही कंप्यूटर के कुंजीपटल पर टाइप करके भरा जा सकता है, या फिर रिकार्ड किये हुए टेप या डिस्क में से लिया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेसर दिये हुए प्रोग्राम के आदेशों को क्रम से पढ़ता जाता है और डेटा पर उन्हीं आदेशों के अनुसार संगणना करता चला जाता है। परिणामों को मॉनीटर के पटल पर प्रदर्शित कर दिया जाता है, या प्रिन्टर द्वारा कागज पर छाप दिया जाता है । हाँ, इस प्रक्रिया को करने के लिये एक अस्थाई स्मृति (रैम) परम आवश्यक है।
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