पदार्थ की परिभाषा
पदार्थ के मूल लक्षण
- पदार्थ स्थान घेरता है- सभी द्रव्य (ठोस, द्रव अथवा गैस) स्थान घेरते हैं। द्रव्य से बनी कोई वस्तु जितना स्थान घेरती है, उसे वस्तु का आयतन कहते हैं। अतः आयतन द्रव्य का मूल लक्षण है।
- पदार्थ में जड़त्व होता है- किसी भी प्रकार के पदार्थ (ठोस, द्रव अथवा गैस) से बनी वस्तु पर कोई, बाह्य बल लगाये बिना, वस्तु की विराम अथवा एक-समान गति की अवस्था में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। पदार्थ की इस प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं। इसकी माप द्रव्यमान से की जाती है।
- गुरूत्वाकर्षण- पदार्थ के किन्हीं भी दो कणों अथवा पिण्डों के बीच पारस्परिक आकर्षण का बल कार्य करता है, जिसे गुरूत्वाकर्षण कहते हैं। पदार्थ के किसी एक खण्ड द्वारा पदार्थ के किसी दूसरे खण्ड पर गुरूत्वाकर्षण बल आरोपित करना द्रव्य का मूल लक्षण है।
पदार्थ का वर्गीकरण
- पदार्थ का भौतिक वगीकरण
- पदार्थ का रासायनिक वगीकरण
- ठोस (Solid)
- द्रव (Liquid)
- गैस (Gas)
ठोस (Solid)
- ठोस पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमे उसके आकार एवं आयतन निश्चित होते हैं। जैसे- कुर्सी, मेज, ईंट, पत्थर की मूर्ति, दवात, कलम, तांबा आदि।
- जब पदार्थ के अणुओं मे परस्पर आकर्षण बल पृथक्कारी बल से सबल होता है, तो पदार्थ ठोस अवस्था में रहता है। इस प्रकार ठोस पदार्थ के अणुओं मे परस्पर आकर्षण बल सबल होता है। सबल आकर्षण बल के कारण ठोस पदार्थों के अणु घने रूप में संकुलित (एक दूसरे के बिल्कुल समीप) होते हैं तथा उनकी स्थितियाँ निश्चित होती हैं। इन्ही स्थितियों के इर्द-गिर्द ये सिर्फ अपने अन्तराण्विक अंतराल मे कम्पन करते रहते हैं, जब तक कि उन पर बाहर से कोई बल नही लगाया जाता। इसी कारण से ठोस पदार्थों के आकार और आयतन निश्चित होते हैं।
- ठोसों के कण आपस मे अत्यधिक निकट होते हैं, इस कारण इनमें उच्च घनत्व और असंपीड्यता होती है। ठोसों में कणो की उच्च क्रम मे व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं, जिसके फलस्वरूप क्रिस्टलों की एक नियमित ज्यामितीय आकृति होती है।
द्रव (Liquid)
गैस (Gas)
- गैस पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमें उसके आकार और आयतन दोनों अनिश्चित होते हैं। जैसे- वायु, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, क्लोरीन आदि।
- गैस अवस्था मे पदार्थ का न तो कोई आकार होता है और न कोई आयतन। गैसीय पदार्थ को जिस पात्र में रख दिया जाता है, वह उसी का आकार एवं आयतन ग्रहण कर लेती है। गैस का कोई पृष्ठ-तल नही होता है। गैस भी द्रव की भाँति एक बर्तन से दूसरे बर्तन मे डाली जा सकती है। इसी कारण गैस को भी द्रव जैसा, बहने वाला द्रव (Fluid) कहते हैं।
- जब पदार्थ के अणुओं मे परस्पर आकर्षण बल, पृथक्कारी बल की अपेक्षा काफी कमजोर होता है, तो पदार्थ गैस अवस्था में रहता है। इस तरह गैसीय पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल ठोस एवं द्रव पदार्थ दोनों की अपेक्षा कमजोर होता है।
- अत्यंत कमजोर आकर्षण बल के कारण गैसीय पदार्थ के अणु ठोस एवं द्रव पदार्थ के अणुओं की तुलना में एक-दूसरे से काफी दूर-दूर रहते हैं तथा सभी संभव दिशाओं मे गति करने के लिए स्वतंत्र रहते हैं। इसी कारण गैसीय पदार्थ का न तो कोई निश्चित आकार होता है और न ही निश्चित आयतन।
- गलनांक (Melting Point) - वायुमण्डल के मानक दाब पर कोई पदार्थ, जिस निश्चित ताप पर ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित होता है, उसे पदार्थ का गलनांक कहते हैं।
- हिमांक (Freezing Point) - वायमुण्डल के मानक दाब पर कोई पदार्थ, जिस निश्चित ताप पर द्रव अवस्था से ठोस अवस्था में परिवर्तित होता है। उसे पदार्थ का हिमांक कहते हैं।
- क्वथनांक (Boiling Point) - वायुमण्डल के मानक दाब पर कोई पदार्थ जिस निश्चित ताप पर द्रव अवस्था से वाष्प अवस्था में परिवर्तित होता है, उसे पदार्थ का क्वथनांक कहते हैं।
- द्रवणांक (Liquefaction Point)- वायुमण्डल के मानक दाब पर, कोई पदार्थ जिस निश्चित ताप पर वाष्प अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित होता है, उसे पदार्थ का द्रवणांक कहते हैं।
- वाष्पन (Evaporation) - यदि किसी बर्तन में कोई द्रव (जैसे जल) रखा हो तो उसके ऊपरी पृष्ठ से द्रव के अणु मुक्त होकर वायुमण्डल में जाते रहते हैं। यह क्रिया जो प्रत्येक ताप पर होती रहती है वाष्पन कहलाती है तथा इस प्रकार मुक्त हुए अणु पदार्थ को वाष्प कहते हैं।
- संघनन (Condensation)- किसी पदार्थ की वाष्प के द्रव अवस्था में परिवर्तित होने की क्रिया को संघनन कहते हैं। किसी वाष्प को पर्याप्त रूप से ठंडा करने (ताप घटाने) अथवा बिना ठंडा किये ही वाष्प का दाब बढ़ाने से, उसे संघनित किया जा सकता है।
- उदाहरणः जाड़े के मौसम में रात को वायुमण्डल का ताप कम हो जाने पर, वायु में उपस्थित जलवाष्प, द्रव जल की बूंदों के रूप में वस्तुओं पर संघनित हो जाता है, जिसे ओस कहते हैं। अथवा किसी गिलास में बर्फ रखने पर, आस-पास की वायु में उपस्थित जल-वाष्प, गिलास की बाहरी सतह पर ठंडी होकर, जल की बूंदों के रूप में संघनित हो जाती है। इसी प्रकार ऊपरी वायुमण्डल में जलवाष्प के ठंडे होकर संघनित होने से बादल एवं धरातल के निकट संघनित होने से कोहरा बनता है।
- ऊर्ध्वपातन (Sublimation) - कुछ पदार्थ जैसे आयोडीन , कपूर, अमोनियम क्लोराइड या नौसादर आदि साधारण ताप पर ही ठोस अवस्था से (बिना द्रव बने) सीधे वाष्प अवस्था में परिवर्तित हो जाते है। इस क्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते है।
- शुद्ध पदार्थ
- अशुद्ध पदार्थ
शुद्ध पदार्थ (Pure Substances)
- इलेक्ट्रॉनिक संरचना के अनुसार तत्त्व वह पदार्थ है, जिसके प्रत्येक परमाणु का नाभिकीय आवेश समान होता है। हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सोडियम, लोहा, तांबा, सोना, चांदी, प्लेटिनम आदि तत्त्वों के प्रमुख उदाहरण हैं। तत्त्व दो प्रकार के होते हैं- धातु (Metal) और अधातु (Non-Metal)।
- धातु तत्त्व-धातु तत्त्व विद्युत और ऊष्मा के सुचालक होते है तथा ये ठोस अवस्था में आघातवर्द्धनीय (Melleable) और तन्य (Ductile) होते हैं। लोहा, ताँबा, एल्युमीनियम, चाँदी, सोना, प्लेटिनम आदि धातु तत्व है। अधातु तत्त्व-अधातु तत्त्व विद्युत और ऊष्मा के कुचालक होते है। साथ ही अधातु तत्त्व भुरभुरे (Brittle) होते है और प्रहार करने पर चूर-चूर हो जाते हैं। गंधक, फॉस्फोरस, ऑक्सीजन, ब्रोमीन इत्यादि अधातु तत्त्व है।
- भौतिक अवस्था के आधार पर तत्त्वों को ठोस तत्त्व, द्रव तत्व तथा गैस तत्त्व में विभाजित किया गया है। अधिकांश तत्त्व ठोस रूप में ही पाये जाते हैं। (जैसे- लोहा, सोना, तांबा, कार्बन, गंधक आदि) कुछ तत्त्वे द्रव के रूप में पाये जाते है। जैसे- पारा, ब्रोमीन आदि), जबकि कछ तत्त्व गैसीय अवस्था में पाये जाते हैं। (जैसे- हाइड्रोजन, ऑक्सीजन नाइट्रोजन, क्लोरीन आदि)। वर्तमान समय में 118 तत्वों की खोज की जा चुकी है। इनमें से 92 तत्व प्रकृति मे पाये जाते है, जबकि शेष अन्य तत्व वैज्ञानिकों द्वारा प्रयोगशालाओं में कृत्रिम तरीकों से संश्लोषित किए गए हैं।
- जल का प्रत्येक अणु हाइड्रोजन के दो परमाणुओं तथा ऑक्सीजन के एक परमाणु से मिलकर बना होता है। किसी भी स्रोत से प्राप्त शुद्ध जल या किसी भी विधि से निर्मित जल के प्रत्येक अणु मे हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के परमाणुओं का अनुपात सदैव 2:1 होता है। भार के विचार से यह अनुपात 18 होता है। जल के भौतिक और रासायनिक गुण इसके अवयवी तत्वों-हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के गुणों से सर्वथा भिन्न होते हैं।
- शर्करा एक यौगिक है। इसका एक अणु कार्बन के 12 परमाणुओं, हाइड्रोजन के 22 परमाणुओं और ऑक्सीजन के 11 परमाणुओं के परस्पर रासायनिक संयोग से बनता है। इसका सूत्र C13H22O11
- यौगिक दो प्रकार के होते है:- कार्बनिक यौगिक और अकार्बनिक यौगिक
- कार्बनिक यौगिक (Organic Compound)- कार्बन, हाइड्रोजन के व्युपन्न इस श्रेणी में आते हैं।
- अकार्बनिक यौगिक (Inorganic Compound)- हाइड्रोकार्बन को छोड़कर शेष सभी यौगिक इसके अन्तर्गत आते हैं।
तत्त्व और यौगिक में अंतर |
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तत्त्व |
यौगिक |
तत्त्व तत्त्व वह शुद्ध पदार्थ है जो समान परमाणु-क्रमांक
वाले एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है। उदा. कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), ऑक्सीजन (O), आयरन (Fe), कॉपर (Cu) आदि सभी
तत्त्व हैं। |
यौगिक वह शुद्ध पदार्थ है जो दो या दो से अधिक तत्त्वों
के दो या अधिक प्रकार के परमाणुओं के द्रव्यमान के एक निश्चित अनुपात में
रासायनिक संयोग से बने होते है। उदा. जल अमोनिया, कार्बन-डाइऑक्साइड,
आदि यौगिक हैं। |
तत्त्व को भौतिक व
रासायनिक विधियों द्वारा नये सरल पदार्थों में विघटित नहीं किया जा सकता है।
केवल नाभिकीय क्रियाओं द्वारा एक तत्त्व को दूसरे तत्त्व में परिवर्तित किया जा
सकता है। |
यौगिक को वैद्युत
अपघटन अथवा अन्य रासायनिक विधियों द्वारा अवयवी सरल पदार्थों (तत्त्वों) में
विघटित किया जा सकता है। भौतिक विधियों द्वारा यौगिक को अवयवी तत्त्वों में
विघटित नहीं किया जा सकता है। |
कुछ तत्त्व परमाणुओं के रूप में (कॉपर, सिल्वर, गोल्ड, सोडियम, पोटैशियम
आदि) जबकि कुछ अणुओं के रूप में हाइड्रोजन (H2), ऑक्सीजन (O2),
नाइट्रोजन (N2) आदि
पाये जाते हैं। |
यौगिक अणुओं के रूप में पाये जाते है। जैसे-जल,
साधारण नमक। |
तत्त्व के गुणधर्म
उसके सूक्ष्मतम कण-परमाणु के कारण होते हैं। |
यौगिक के गुणधर्म
उसके सूक्ष्मतम कण, अणु के कारण होते हैं और अवयवी तत्वों के गुणों से भिन्न
होते हैं। |
अशद्ध पदार्थ (Impure Substances)
- वायु अनेक गैसों एवं धूलकणों का मिश्रण है। वायु के अवयवी कण गैस मे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइ-ऑक्साइड न और जलवाष्प प्रमुख हैं।
- समुद्री जल कई लवणों का जल में मिश्रण है, जिसमें सोडियम क्लोराइड प्रमुख लवण है।
- पीतल, तांबा और जस्ता का मिश्रण होता है।
तत्त्व और यौगिक में अंतर |
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मिश्रण |
यौगिक |
मिश्रण से इसके अवयवी पदार्थों को भौतिक विधियों
जैसे-छानना, वाष्पन, ऊर्ध्वपातन, इत्यादि
द्वारा पृथक् किया जा सकता है। |
यौगिक यौगिक से इसके अवयवों को भौतिक विधियों द्वारा
पृथक् नहीं किया जा सकता है। |
मिश्रण में इसके
अवयवी पदार्थों के सभी गुणधर्म पाये जाते है। |
यौगिक के गुणधर्म
इसके अवयवी पदार्थों से भिन्न होते है। |
मिश्रण के बनतें समय ऊर्जा (ऊष्मा, प्रकाश, इत्यादि के
रूप में) न तो शोषित होती है और न मुक्त होती है। |
यौगिक के बनते समय प्रायः ऊर्जा (ऊष्मा,प्रकाश
इत्यादि के रूप में) या तो शोषित होती है। या मुक्त होती है। |
मिश्रण का संघटन
अनिश्चित होता है। इसके अवयव द्रव्यमान के किसी भी अनुपात में हो सकते हैं। |
यौगिक का संघटन
निश्चित होता है। यौगिक में इसके अवयव द्रव्यमान के एक निश्चित अनुपात में होते
हैं। |
मिश्रण का गलनांक,
क्वथनांक, घनत्व
इत्यादि निश्चित नहीं होता है। |
यौगिक का गलनांक,
क्वथनांक, एवं
घनत्व निश्चित होता है। |
विलयन जो कि समांग
होता है, को छोड़कर मिश्रण
प्रायः विषमांग होते हैं। |
यौगिक समांग होते
है। |
मिश्रण में दो या दो से अधिक प्रकार के अणु हो सकते है। |
यौगिक में एक ही प्रकार के अणु होते हैं। |
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