सतत् आर्थिक विकास का महत्त्व
- इसमें वर्तमान पीढ़ी का विकास भावी पीढ़ी के अविकास की लागत पर नहीं किया जाता है। अर्थात इसमें बिना भावी पीढ़ी के जीवन स्तर को क्षति पहुंचाए वर्तमान जनसंख्या के जीवन स्तर में वृद्धि पर जोर दिया जाता है। सतत् विकास की अवधारणा प्राकृतिक पूंजी के स्टॉक के संरक्षण पर जोर देती है। प्राकृतिक पूंजी स्टॉक से आशय सभी प्रकार के पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों की परिसंपत्तियों के कुल स्टॉक से है। इस प्रकार सतत् विकास में भविष्य में इन संसाधनों की कमी की संभावना नहीं रहती है।
- सतत् आर्थिक विकास में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, गरीबी, उन्मूलन, सामाजिक न्याय पर जोर दिया जाता है। जिससे जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होती हैं।
- सतत् विकास में ऐसी उत्पादन तकनीकी को अपनाया जाता है तो पर्यावरण के अनुकूल हो। फलतः पर्यावरण प्रदूषण की समस्या नहीं उत्पन्न होती है। संक्षेप में सतत् आर्थिक विकास के पर्यावरण का संरक्षण होता है।
सतत् विकासः विशेषताएं, शर्ते व महत्त्व |
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विशेषताएं |
शर्ते |
महत्व |
1.
व्यक्तियों को प्रमुख स्थान |
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण |
भावी पीढ़ी को महत्व |
2. समानता पर जोर |
प्रदूषण रहित विकास |
प्राकृतिक पूंजी का
संरक्षण |
3.
मानव विकास |
जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि विकास नीतियों |
जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि |
4. पर्यावरण संरक्षण |
स्फूर्ति अवस्था के
बाद |
पर्यावरण अनुकूल |
5.
पर्यावरण में गुणात्मक सुधार |
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उत्पादन तकनीक |
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