डिजिटल इंडिया क्या हैं ? इसके कार्यक्षेत्र, लाभ और हानि | Digital india in hindi

डिजिटल इंडिया Digital india in hindi

केंद्र सरकार द्वारा 1 जुलाई 2015 को यह कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिणत करना है। यह कार्यक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा परिकल्पित किया गया है।
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यह कार्यक्रम वर्ष 2019 तक चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया जाएगा। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की प्रकृति रूपांतरकारी है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि सरकारी सेवाएँ इलेक्ट्रॉनिक रूप से नागरिकों को उपलब्ध हों।
वर्तमान में अधिकतर ई-गवर्नेस परियोजनाओं के लिये आर्थिक सहायता केंद्र या राज्य सरकारों से संबंधित मंत्रालयों/विभागों के बजटीय प्रावधानों के जरिये होती थी, लेकिन डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की अलग-अलग परियोजनाओं के लिये जरूरी कोष का आकलन संबंधित नोडल मंत्रालय/विभाग करेंगे और उसी के अनुरूप धन का आवंटन किया जाएगा।

डिजिटल इंडिया के कार्यक्षेत्र

  • एक कोर उपयोगिता के रूप में उच्च गति का इंटरनेट सभी ग्राम पंचायतों में उपलब्ध कराया जाएगा।
  • नागरिकों का डिजिटल सशक्तीकरण।
  • मांग पर शासन और सेवाएँ उपलब्ध कराना।
  • परिवर्तन को सक्षम बनाने के लिये प्रौद्योगिकी को सर्वव्यापी बनाना।
  • परिवर्तन को साकार करने की आवश्यकता महसूस करना, इसके लिये एक सूत्र ईजाद किया गया है- आई.टी. (इंडियन टैलेंट ) + आई टी (इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) = आई.टी. (इंडिया टुमॉरो )
  • डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में कई मौजूदा योजनाओं को पुनर्गठित ढंग से लागू किया जाएगा। डिजिटल इंडिया के रूप में कार्यक्रमों की ब्राण्डिंग, उनके परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डालती है।
  • डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में निम्नलिखित क्षेत्रों पर खास ध्यान दिया जाएगा-
  1. ब्रॉडबैंड हाइवे- इसके तहत् देश के आखिरी घर तक ब्रॉडबैंड के जरिये इंटरनेट पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
  2. मोबाइल कनेक्टिविटी के लिये सार्वभौमिक पहुँच।
  3. सार्वजनिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम- इसके तहत् इंटरनेट सेवाएँ मुहैया कराई जाएँगी।
  4. ई-गवर्नेस- इसके अंतर्गत तकनीक के माध्यम से शासन-प्रशासन में सुधार लाया जाएगा।
  5. ई-क्रांति- इसके तहत् विभिन्न सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से लोगों को मुहैया कराया जाएगा।
  6. सभी के लिये सूचना अर्थात् सभी को जानकारियाँ मुहैया कराई जाएंगी
  7. इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण- सरकार का लक्ष्य भारत में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिये कलपुर्जों के आयात को शून्य करना है।
  8. आई टी फॉर जॉब्स- सूचना प्रौद्योगिकी की जरूरत के अनुसार नौकरियाँ पैदा की जाएंगी।
  9. अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम- इसका संबंध स्कूल, कॉलेजों में विद्यार्थियों और शिक्षकों की हाजिरी से है।
  10. डिजिटल लॉकर (Digital Locker)- डिजिटल लॉकर या डिजि-लॉकर (Digi-Locker) भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम 'डिजिटल इंडिया' का अहम हिस्सा है। यह एक प्रकार की अंकीय तिजोरी या इलेक्ट्रॉनिक तिजोरी है जो दस्तावेजों या इनकी छायाप्रति को सुरक्षित रखने के काम आती है। इसी के सह कार्यक्रम के रूप में ई-सिग्नेचर (e-Signature) सुविधा प्रदान की जाती है। 'डिजी-लॉकर' प्रयोग में लाने के लिये व्यक्ति के पास आधार नंबर होना अनिवार्य है। आधार नंबर डालकर व्यक्ति डिजि-लॉकर खोल सकता है तथा अपने जरूरी कागजातों को ऑनलाइन सुरक्षित रख सकता है। डिजि-लॉकर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपने कागजात कहीं भी निकाल सकते हैं या डाल (Upload) भी सकते हैं।
  11. ई-बस्ता (E - Basta)-डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने हेतु सरकार द्वारा एक एप (App) भी जारी किया गया। ई-बस्ता नाम के इस एप्लीकेशन पर सारी विद्यालयीन पुस्तकों को डाउनलोड किया जा सकता है। इसका एक उद्देश्य छात्रों के कंधों पर से पुस्तकों के भार को कम करना भी है।

डिजिटल इंडिया के लाभ

डिजिटल इंडिया के संभावित लाभों को निम्नलिखित रूप से देखा जा सकता है-
  • डिजिटल तिजोरी- लोग अपने दस्तावेजों (पैनकार्ड, आधार कार्ड या अन्य दस्तावेज) को ऑनलाइन रख सकेंगे और उन्हें एक्सेस करना बेहद आसान होगा।
  • ई-बैग- छात्र अपने शिक्षा बोर्ड की किताबें कहीं से भी डाउनलोड कर पढ़ सकेंगे, इसमें सभी राज्यों के शिक्षा बोर्ड अपनी किताबें ऑनलाइन रखेंगे।
  • ई-अस्पताल योजना- इसके तहत् लोगों को ऑनलाइन मेडिकल सुविधा दी जाएगी। यदि यह सफल हुई तो बड़े अस्पतालों में लंबी लाइने कम हो जाएंगी और मरीज देश के किसी भी कोने में बैठकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे। दूर-दराज के गाँवों को भी इस स्कीम से जोड़ा जाएगा।
  • रोजगार- इस योजना के तहत् करीब 18 लाख लोगों को रोजगार की उपलब्धता होगी तथा कुल निवेश साढ़े चार लाख करोड़ होने का अनुमान है।
  • नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल- इस पोर्टल के द्वारा छात्रों की स्कॉलरशिप व्यवस्था को ऑनलाइन किया गया है। अब स्कॉलरशिप के लिये ऑनलाइन एप्लाई के साथ वितरण भी ऑनलाइन किया जाएगा।
  • मोबाइल एप- इस एप के जरिये जनता मोबाइल द्वारा सरकार से जुड़ सकेगी।
  • गाँवों तक इंटरनेट- गाँवों तक इंटरनेट की पहुँच बढ़ाने के लिये सरकार अपने स्तर से प्रयास करेगी। साथ ही कई शहरों में वाई-फाई का प्रबंध भी किया जाएगा।
  • हॉट स्पॉट हर जगह उपलब्ध- बीएसएनएल देश भर में वाई-फाई हॉट-स्पॉट बनाने के काम में संलग्न है, ताकि लैपटॉप और स्मार्टफोन आसानी से इंटरनेट से जुड़ सकें।

डिजिटल इंडिया की चुनौतियाँ

सरकार डिजिटल इंडिया के द्वारा लोगों को रोजमर्रा की सुविधाएँ देना चाहती है। सरकार ने इस अभियान के तहत् नौ मुख्य क्षेत्रों को निर्धारित किया है। इन्हें करने में सरकार के सामने कई चुनौतियाँ सामने आएंगी।
पहला, ब्रॉडबैंड हाइवे के तहत देश के आखिरी घर तक इंटरनेट पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का प्रोग्राम है जो तीन-चार साल पीछे चल रहा है।
सरकार का दूसरा लक्ष्य है, सबके पास फोन की उपलब्धता, जिसके लिए जरूरी है कि लोगों के पास फोन खरीदने की क्षमता हो। क्या सबके पास फोन खरीदने की क्षमता आ गई है? या फिर सरकार अगर ये सोच रही है कि वो खुद सस्ते फोन बनाएगी तो इसके लिए तकनीक और तैयारी अब तक अनुपलब्ध है।
तीसरा स्तंभ है, पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम। इसके लिए पीसीओ के तर्ज पर पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्वाइंट बनाए जा सकते हैं। ये पीसीओ आसानी से समस्या हल कर सकते हैं, लेकिन हर पंचायत के स्तर पर इसको लगाना और चलाना बहुत मुश्किल कार्य है।
चौथा है, ई-गवर्नेस यानी सरकारी दफ्तरों को डिजिटल बनाना और सेवाओं को इंटरनेट से जोड़ने का। इसे लागू करने का पिछला अनुभव बताता है कि दफ्तर डिजिटल होने के बाद भी उनमें काम करने वाले डिजिटल नहीं हो पा रहे हैं।

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